डीएपी खाद के नुकसान | Disadvantages of DAP fertilizer

 डीएपी खाद के नुकसान

डी ए पी खाद जो किसानों के द्वारा सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाता है तो आज हम इसके फायदे नुकसान इसका इस्तेमाल कब करना चाहिए, कितनी मात्रा में करना चाहिए, कैसे करना चाहिए कि डी ऐफ़ पी नकली भी आता है, नकली या असली में क्या फर्क होता है और इसकी वर्तमान में क्या रेट है? तो जो भी डी पी खाद के बारे में जानकारी है, मैं आपको देने की कोशिश करूँगा।

डीएपी खाद के नुकसान


सबसे पहले हम डीपी खादगाह पूरा नाम जान लेते हैं। डीएपी का पूरा नाम डाई अमोनियम फास्फेट होता है और इसमें 18% नाइट्रोजन और 46% फास्फोरस की मात्रा होती है। अटारे प्रतिशत नाइट्रोजन, जिसमें से साढ़े 15% से अमोनियम नाइट्रेट होता है और बाकी नाइट्रोजन और 46% फास्फोरस में से साढ़े 39% फास्फोरस पानी में गुल जाता है और बाकी फास्फोरस है। वो बाद में मिट्टी में घुलता रहता है। तो इस तरह से ये अटारे प्रतिशत नाइट्रोजन और 46% इसमें फास्फोरस की मात्रा होती है। 0% इसमें पोटैशियम की मात्रा होती है यानी इसमें पोटैशियम नहीं होता है। आप देख सकते हैं यहाँ पर तो इस तरह से डी ए पी का ये रासायनिक संगठन है और वर्तमान में डी ए पी की रेट की बात करें तो ₹1350 एक बैग यानी जो 50 किलो का बैग है, इसकी वर्तमान में रुपए रेट है और अब देख लेते हैं जैसे डी ए पी। कई बार हम असली और नकली का पता नहीं कर पाते हैं तो जब भी आप डी ए पी लेकर आए तो इसको थोड़ा सा तवे पर भून करके देख ले। अगर डी पी पिघल जाता है।

तो ये नकली नहीं है, असली है और अगर डी ए पी पिघलता नहीं है तो नकली है तो इस बात का भी आपको ध्यान रखना चाहिए। कई बार हम ठगे जाते हैं और नकली डी ए पी हमें थमा दिया जाता है तो?

इसका उपयोग ज्यादातर किसानों को समय किया जाता है और कुछ किसान है वो बाद में भी सिंचाई के समय कर देते हैं, लेकिन ज्यादातर इसका इस्तेमाल शुरुआत में बुवाई के समय करना चाहिए और इसका रंग है जैसे यहाँ पर आप पहले बुरा रंग भुइयां बादाम में रंग देख चूके हैं और ये जो काला रंग है तो सभी तरह के रंग बुरे बादामी और काले रंग में डी ए पी उपलब्ध होता है तो इससे आप असली नकली का पता नहीं लगा सकते हैं। काला भी होता है, बुरा भी होता है और बादामी भी होता है तो ये तीन रंगो में उपलब्ध होता है। अब जैसे डी ए पी है तो इसके फायदे क्या है? डी ए पी जो मुख्य पोषक तत्वों के, जिसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस मुख्य पोषक तत्व होता है तो इस कारण पौधे की शुरुआत में जो बढ़वार होती है या शुरुआत में जड़ों के विकास के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है।

अगर आप नहीं डालते हैं तो पौधा देरी से बढ़ता है और अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाता है और अगर हम डीजीपी को बहुत ज्यादा मात्रा में डाल देते हैं तो भी इसके नुकसान हो जाते हैं तो हमें इसका सीमित मात्रा में उपयोग करना चाहिए। अब जैसे एक एकड़ में डी ए पी का इस्तेमाल 40 किलो के लगभग किया जाता है, लेकिन आप अधिकतम करना चाहते हैं तो 50 किलो से ज्यादा एक एकड़ में डी ए पी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे ज्यादा नुकसानदायक होता है। इससे आपके जमीन की उर्वरा शक्ति बिगड़ जाती है। बाद में उत्पादन है। वो धीरे धीरे कम हो जाता है।

डीएपी खाद के नुकसान


तो इस कारण आप डीपी खाद का ज्यादा इस्तेमाल न करें और हम देखते हैं कई बार कोई भी जैसे वस्तु होती है, उसके फायदे भी होते हैं, नुकसान भी होते हैं तो डी ऐफ़ सी का भी। नुकसान ये है कि अगर आप इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो ये हमारे जो खाने पीने की चीजें होती है, उनमें भी इसका अंश आता है और जिसके कारण हम बीमार भी हो जाते हैं और कई तरह के रोगों से घृषित हो जाते हैं। तो इस कारण जो रासायनिक चीजें होती हैं, एचआईडी और यूरिया और पोटाश हो, जो भी रासायनिक खाद्य होती है, इनका इस्तेमाल कम से कम करे |

चाहिए और जहाँ तक संभव हो सके हमें जैविक खादों का गोबर खाद का इस्तेमाल करना चाहिए जो कि सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है तो लेकिन सभी जगह उपलब्ध नहीं हो पाता है। इस कारण हमें डी ऐफ़ पी का इस्तेमाल करना पड़ता है और अगर आप डी ए पी का इस्तेमाल करते हैं तो बहुत ज्यादा इस्तेमाल ना करें। बहुत ज्यादा इस्तेमाल से आपके खेत की उर्वरा शक्ति घट जाएगी और बाद में धीरे धीरे इसका उत्पादन भी फसलों का कम होना शुरू हो जाएगा |

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FAQ:-

डीएपी खाद क्या काम करता है?

डीएपी खाद का उपयोग धान की फसल में कल्ले बढ़ाने में बहुत आवश्यक होता है

DAP का असर कितने दिन तक रहता है?

बीज डालने के 30 से 35 दिनों बाद स्प्रे करना चाहिए।

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