फटेरा का उपयोग धान में | use of fatera in paddy

फटेरा का उपयोग धान में

  आज आपको बताएंगे ऐफ़ एम सी के फटेरा के बारे में। इसमें धान में लगाने से क्या क्या फायदे हैं, ये क्या क्या काम करता है, इसमें क्या क्या होता है, इस सबके बारे में आपको बताएंगे कि दोस्तों ये जो ऐफ़ एम सी का फटेरा होता है, इसमें जो टेक्निकल होता है वो होता है।

फटेरा का उपयोग धान में


0.4% तो दोस्तों ये जी आर के रूप में होता है अर्थात के रूप में होता है और दानेदार जो इंसेक्टिसाइड होता है उसका सबसे बड़ा जो फायदा होता है वो ये होता है कि हमें इसका स्प्रे नहीं करना पड़ता और इसे हम मिट्टी में मिलाकर या खाद में यूरिया में मिलाकर इसको अपने खेत में बिखेर सकते हैं, जिससे हमें पूरा बेनिफिट मिलता है। तो दोस्तों ये जो टेक्निकल है इसका फायदा है। वो ये है की इसका जो असर होता है बहुत लम्बा होता है। यानी यदि हम एक बार धान की फसल में इसे लगा देते है तो ये पूरी फसल में हमारे जो हानिकारक कीड़े है, जो इनसेप्टस है, उनको कंट्रोल करता है यानी की उनको फसलों में आने ही नहीं देता है। यदि आये हुए होते है तो उनको नष्ट करता है। तो दोस्तों ये जो है य धान में लगने वाली तना छेदा और पत्ता मोड़ा यानी की जो लीफ होल्डर होता है।

विभिन्न प्रकार की इल्लियां होती हैं, पत्ते को काटने वाली इल्लियां होती हैं और विभिन्न प्रकार की जो कीड़े होते हैं, ये सब को कंट्रोल करता हैं। यानी की हम एक बार यदि फटेरा लगाते हैं तो धान में किसी प्रकार के जो कीड़े हैं, जो इल्लिया हैं, वो हमारे धान में नहीं आती हैं और इनके नहीं आने से और हमें धान की जो पैदावार मिलती हैं वो ज्यादा मिलती हैं और उसकी क्वालिटी भी अच्छी होती हैं।

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तो दोस्तों, हमें धान में ये किस प्रकार लगाना चाहिए, किस मात्रा में लगाना चाहिए इसके बारे में बताते हैं की दोस्तों जब हमारे धान की फसल करीब 20 दिन की हो जाए तब हम इसको लगा सकते हैं और यदि इस समय हम नहीं लगा पाते हैं तो ये 60 दिन से पहले हमें हर हाल में लाना चाहिए। यानी की हमें जो 20 दिन से जो 40 दिन का फसल बीज का जो टाइम है धान का ये अच्छा पीरियड है। अच्छा समय है तो इस समय में हमें फटे रखो यूज़ कर रहे हैं।

फटेरा का उपयोग धान में


यूज़ करने के लिए इसकी जो मात्रा है वो चार किलोग्राम मिलती है। एकड़ के हिसाब से पर्याप्त होती है और जीस समय हम इसका प्रयोग करें। उस समय हमारे धान के खेत में नमी बनी जाएगी यानी कि पानी भरा नहीं होना चाहिए। उसमें अच्छी नमी होना चाहिए और उसके जो अगले दिन हमें उसकी सिंचाई करने चाहिए यानी की पानी उसमें करीब डेढ़ से दो इंच तक पानी खड़ा कर देना चाहिए।


यदि ये 2,3 दिन तक पानी खाया रहता है तो हमारे फटे रहा है। वो बहुत अच्छा काम करता है और लंबे समय तक यदि हम इसमें नमी बनाए रखते हैं तो ये समय तक कार्य करता है और हमारे जो धान की फसल है उसको विहिप की रोग से बचाए रखता है और हमें जो उपज मिलती है वो ज्यादा मिलती है तो दोस्तों इस प्रकार हम फटेरा प्रयोग करके अपने ध्यान से ज्यादा करवा ले सकते हैं। 

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