मोटा धान की किस्म | coarse paddy variety

 मोटा धान की किस्म

धान की खेती करने का समय काफी नजदीक आ रहा है। जीसको देखते हुए हमारे किसान भाई नर्सरी डालने का काम जोरों पर शुरू कर चूके हैं तो सबसे जरूरी होता है कि इस बार धान की कौन सी किस्म लगाई जाए जिनका उत्पादन बहुत शानदार मिले। उत्तर प्रदेश में काफी इन दो किस्मों की खेती हमारे किसान भाई कर रहे हैं, जिनका उत्पादन बहुत अच्छा है, शानदार है और रोग मुक्त है 

मोटा धान की किस्म


आज हम आप लोगों को लेकर आएँगे। बेहतरीन दो नई किस्मों के बारे में बताने वाले हैं। भारत में अनाज वाली फसलों में चावल का प्रमुख स्थान है किसान भाइयों जो काफी बड़े लेवल पर धान की हमारे भारत के अंदर खेती की जाती है। धान का विभिन्न प्रकार की किस्मों की खेती करते हैं। जो नंबर वॅन बासमती धान से लेकर हैब्रिड, परमल मोटा, देसी धान इन सब की खेती किसान भाई करते हैं की अच्छा बेनिफिट मिले। धान से अच्छा मुनाफा मिले, लेकिन बेनिफिट मुनाफा तभी मिलेगा जब हमारी धान की लगी फसल टॉप का उत्पादन मिल सके। फसल में रोग बीमारियों का अटैक ना हो सके। यानी लागत कम मुनाफा ज्यादा हो तो आज हम डीटेल्स से प्रकाश डालने वाले हैं।

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मुनाफा अच्छा होगा। इसलिए हम सबको ध्यान रखते हुए धान की अच्छी किस्म का चयन करना होगा। सबसे पहले आप देखना होगा की आपकी एरिया में पिछले वर्ष किस किस्म ने रिसाल्ट अच्छा दिया और आपकी मिट्टी कैसी है, पानी कैसा है? सब देखते हुए ही आप किस्म का चुनाव करें। हमेशा बिल्कुल नई किस्म लगाने जा रहे हैं तो बहुत कम एरिया में पहले साल लगाकर उस वेरायटी को चेक कर ले दूसरा नंबर इन दिनों में बीज माफिया भी ज्यादा अक्टिव हो जाते हैं। हर एरिया में सावधान रहना है। इन लोगों से इन सब जब नई किस्में बाजार में उतारी जाती है तो ये सब पुरानी किस्म और किसानों को नई किस्म कह कर उनको महंगे भाव पर बीज दे देते हैं, जो काफी बीज लेना होता है। किसान भाइयों को तो आप लोगों को आप विश्वसनीय संस्था, दुकानदार व किसान से ही बीज को खरीदे। पक्के बिल पर आपको धान की अच्छी टॉप किस्म लेनी चाहिए। सबसे पहले हम बात करते हैं इन किस्मो की नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से लॉन्च की गई हैं। ये दो नई किस्में एन डी आर 2064 व एन डी आर 2065 जो रोगों के प्रति सहनशील हैं, दोनों किस्में और बाल इनकी लंबी होती हैं। दाने वजन मोटे, चमकदार होते हैं, क्वालिटी बहुत अच्छी होती हैं। नर्सरी बिजाई से लेकर 130, 135 दिन में पक्के तैयार हो जाती है। यह फसल हैट की बात की जाए तो इन पौधों की हैट जो है 110 सेंटीमीटर तक हो जाती है। पौधों में कल्लों की संख्या अधिक होती है और किसान भाई इसकी जो नर्सरी बिजाई करने का समय है। इन दो किस्मों का तो 20 मई से लेके 10 जून तक नर्सरी की रुपाई कर सकते हैं और रोपाई ट्रांसप्लांट करने का जो समय है किसान जुलाई के प्रथम सप्ताह से शुरू कर सकते हैं।

 अगर इन दो की रोपाई यानी ट्रांसप्लांट 22 जून से लेकर 24 जून तक अगर कर देते हैं तो उत्पादन और भी ज्यादा ये दो नई किस्में देती हैं। इनकी औसतन जो पैदावार हैं वो 32 क्विंटल प्लस प्रति एकर देती हैं। अगर आप और भी अच्छे से प्रबंधन करते हैं तो इनकी पैदावार और भी ज्यादा मिलती हैं। खास ध्यान रखना हैं यूरिया का ज्यादा इसमें प्रयोग नहीं करना हैं क्योंकि पौधों की हाइट बहुत ज्यादा हो जाती हैं। दुक्सान भाइयों रोग मुक्त ये वैरायटीस हैं। आप लोग इनकी खेती कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश के काफी जिलों में किसान इनकी खेती करके ज्यादा आय प्राप्त कर रहे हैं। आप किसान भाइयों हम आगे बात करेंगे जो सबसे फेमस उत्तर प्रदेश के अंदर ये किसमें धान की जो हैं? सरजू 52। इसका पकने का समय 130 से 135 दिन लेती हैं। आपको बीज डालने से और कटाई तक 105 सेंटीमीटर की हैट होती हैं। देसी किस्म होने से इस किस्म का ज्यादा फुटाव होता हैं। लगभग ये आपको मान के चले। इसका जो उत्पादन हैं वो 20 से 25 क्विंटल प्रति एकर मिल जाता हैं। इनमें रोगों को लड़ने की क्षमता बहुत ज्यादा हैं। किसी प्रकार का रोग भी नहीं आता हैं।

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