गेहूं में डीएपी कब डालना चाहिए | When should DAP be applied in wheat?

 गेहूं में डीएपी कब डालना चाहिए

वैज्ञानिक तरीके से हम अपने गेहूं की फसल में उर्वरक की कैसे पूर्ण करें, कितनी मात्रा में हमको उर्वरक देनी रहेंगी, क्योंकि बहुत से किसान भाई गलत तरीके से उर्वरक की मात्रा दे देते हैं या तो उर्वरक अधिक दे देते हैं या तो कम दे देते हैं, जिसका विपरीत प्रभाव हमारी गेहूं की फसल की उपज पर पड़ता है तो सही उत्पादन लेने के लिए हमको वैज्ञानिक तरीके को ध्यान में रखते हुए उर्वरक को भी देना चाहिए।

गेहूं में डीएपी कब डालना चाहिए


उससे ज्यादा जरूरी होता है कि यदि आप अपने क्षेत्र की मिट्टी की अपने खेत की मिट्टी की जांच करवा ले, उस आधार पर उर्वरक की पूर्ति करें तो और भी बेटर रहेगा। क्योंकि जो वैज्ञानिक तरीके से डोज बताई जाती है वो सामान्य परिस्थितियों के आधार पर बताई जाती है क्योंकि बहुत से क्षेत्रों में कहीं पर फास्फोरस की अधिकता होती है। कहीं पर पोटाश की मिट्टी में अधिकता होती है तो वहाँ पर यदि आप ये इस रोज़ को देंगे तो आपकी डोज का परसेंटेज जो है वो बदल जाएगा। क्योंकि यदि आपके क्षेत्र में फास्फोरस की मिट्टी में अधिकता है और आप संतुलित मात्रा दे देते हैं

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 तो फास्फोरस अधिक तो हो खोने से उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इसी तरह से यदि पोटाश किया आवश्यकता नहीं आपके क्षेत्र में पड़ती है। आपके क्षेत्र में मिट्टी में पोटाश काफी मात्रा में होती है तो आप पोटाश दे देते हैं तो विपरीत प्रभाव पड़ेगा तो मिट्टी की जांच करवाना जरूरी है। लेकिन यदि आप मिट्टी की जांच नहीं करवातें हैं और आपको पता है कि आपके वहाँ हल्की मिट्टी है, सामान्य मिट्टी है और सभी पोषक तत्वों की एक सामान्य जो संतुलित मात्रा है उतनी देने की आवश्यकता रहती है तो जो वैज्ञानिक तरीके से डोज बताई जाती है वो डोज आप पूर्ण कर सकते हैं। यहाँ पर हम हेक्टेयर और एकड़ में दोनों तरीके से बता रहे हैं। तो जो भी आपको समझ में आए जो भी आप अच्छी तरीके से समझ करके यूज़ कर सकते हैं, 

उस तरीके को अपना सकते हैं। पहले हम हेक्टेयर के रूप में बताएंगे। उसके बाद हम एकड़ में भी आपको बता देंगे, जो गेहूं में संतुलित उर्वरक की मात्रा देनी रहती है। इसमें नाइट्रोजन की एक हेक्टेयर में 150 किलोग्राम, फास्फोरस की 80 किलोग्राम और पोटाश की 60 किलोग्राम मात्रा देनी रहती है। ये वैज्ञानिक तरीके के आधार पर उर्वरकों की डोज पूर्ण रहती है। अब नाइट्रोजन की मात्रा यदि हम यूरिया के माध्यम से देते हैं तो यूरिया की मात्रा क्योंकि यूरिया में 46% नाइट्रोजन होती है तो 274 से 75 किलोग्राम आपको एक हेक्टेयर में बुवाई से लगाकर के अंतिम अवस्था तक देनी रहेंगी। इसी प्रकार से जो फास्फोरस की पूर्ति है तो फास्फोरस की पूर्ति आप यदि डी ए पी से करते हैं तो डी ए पी की 174 से 75 किलोग्राम मात्रा आपको एक हेक्टेयर में देनी रहेंगी।


पोटाश की मात्रा यदि आप पोटाश से पूर्ति करते हैं तो आपको 100 किलोग्राम मात्रा देनी रहेंगी क्योंकि यदि हम सामान्य भाषा में समझे तो यूरिया में जो नाइट्रोजन की मात्रा होती है वो मात्र 46% होती है।


डी ए पी जो होती है उसमें फास्फोरस की मात्रा केवल 46% होती है और जो आप पोटाश होती है उसमें पोटाश की मात्रा 60% होती है। तो इस मात्रा को पूर्ति करने के लिए आपको जो मात्रा मैंने बताई है वो पूरी करनी पड़ेगी। यानी यूरिया आपको 85 किलोग्राम बुवाई के समय और शेष मात्रा की आंधी आंधी मात्रा दो बार टॉप ड्रेसिंग के रूप में देनी पड़ेगी। फास्फोरस डी ए पी से पूर्णत करते है तो आपको डी ए पी की मात्रा 175 किलोग्राम और पोटाश 60% यदि पूर्ति करते है पोटाश से तो म्युरत आपको पोटाश में 60% होती है तो इस हिसाब से आपको 100 किलोग्राम।देनी पड़ेगी। यदि हम एकड़ में इसकी बात करें तो आपको एक एकड़ में जो मात्रा देनी रहेंगी वो मात्रा देनी रहेंगी। नाइट्रोजन की 60 किलोग्राम, फास्फोरस की 32 किलोग्राम और पोटाश की 24 किलोग्राम। तो इस हिसाब से बुवाई के समय जब आप उर्वरक देंगे तो आपको 34 किलोग्राम यूरिया देनी पड़ेगी। 70 किलोग्राम डी ए पी देनी पड़ेगी और 40 किलोग्राम आपको पोटाश देनी पड़ेगी यानी यूरिया की जो टोटल मात्रा है 102 किलोग्राम देनी है।


और जो बी ए पी की मात्रा है वो 70 किलोग्राम देनी है और जो पोटाश की मात्रा है वो 40 किलोग्राम लेनी पड़ेगी तो जो 34 किलोग्राम आप बुवाई के समय यूरिया दे देंगे तो बाद में आपकी इतनी मात्रा बचती है। उसकी दो बागों में बराबर बराबर डिवाइड करके और दो बार सिंचाई के समय आप उर्वरक को दे देते हैं। 

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