नीला थोथा का गन्ने में उपयोग | neela thotha ka ganne mein upayog

 नीला थोथा का गन्ने में उपयोग

आज जायेंगे गन्ने की फसल में कॉपर सल्फेट के बारे में अर्थात ये कॉपर सल्फेट होता है। इसे हम नीलत होता या तोतिया भी कहते है तो इसका जो प्रयोग है हम गन्ने की फसल में कर सकते है और इससे काफी लाभ कमा सकते है। तो दोस्तों ये जो होता है कॉपर सल्फेट होता है, ये जो इससे नीलत होता है ये नीले का होता है और ये आसानी से मिल जाता है। किसी भी पंसारी की दुकान पर ये मिल जाता है और इसका प्रयोग करने से हमारी जो फसल है विभिन्न रोगों से बची रहती है जो फफूदी जनित होते है अर्थात भीम प्रकार की जो फंगस होती है। हमारी जो जमीन है उससे बची रहती है। हमारी फसल उससे बचे रहती है तो हम इसका जो प्रयोग है बड़ी आसानी कर सकते है। तो दोस्तों ये जो कॉपर सल्फेट होता है, एक प्रकार से ये।

नीला थोथा का गन्ने में उपयोग


रोगों से हमारी फसल को बचाता है जो फफूनी जनक होती है और हमारी जो फसल है काफी हरी भरी हो जाती है। इससे कलर भी आता है और हमारा जो पैदावार है गन्ने की बढ़ जाती है तो हम इसे बड़ी आसानी से इसका प्रयोग कर सकते हैं। तो दोस्तों आप जानते हैं कि इससे फायदा क्या होगा? तो दोस्तों जो गन्ने की फसल में भीड़ प्रकार के जरूर लगते हैं। फफूदी के लिए यदि हम इसका प्रयोग करते हैं तो वो आते ही नहीं हैं। यदि आ जाते हैं और उसके बाद हम उसका प्रयोग करते हैं, नष्ट हो जाते हैं तो कुल मिलाकर हमारी जो गन्ने की फसल है, विभिन्न बीमारियों से बची रहती है। खासकर जो भूखा बोइंग होता है जो हमारी किसानों को काफी परेशान करता है। बार बार आता है। यदि हम बार बार महंगी दवाई लगाए तो उससे जो हमारा नुकसान काफी हो जाता है क्योंकि ये काफी महंगी पड़ती है। यदि हम कॉपर सेलिब्रेट का प्रयोग करें तो ये काफी सस्ता पड़ता है। पहले तो ये बहुत सस्ता पड़ता था लेकिन अब इसका किसान भाई काफी मात्रा में प्रयोग कर रहे हैं तो इसका जो रेट है कुछ बढ़ गए हैं। लेकिन फिर भी जो रासायनिक दवाएं आती हैं उससे ये काफी सस्ता पड़ता है। तो इसका प्रयोग करके हम अपने गन्ने की जो भी प्रकार की जो बिमारी है जो फंगस की बिमारी है, उनसे बच सकते हैं और काफी लाभ कमा सकते हैं।

 दोस्तों अब बात करते हैं इसका जो प्रयोग है हमें अपनी फसल में कितनी मात्रा में करना चाहिए? तो दोस्तों इसकी जो सही मात्रा है वो दो से ढ़ाई किलोग्राम प्रति एकड़ के साथ से हम इसका प्रयोग करते हैं। यदि सही मात्रा में इसका प्रयोग करते हैं तो हमारी फसल बिमारी से बची रहती है 


तो दोस्तों इस प्रकार हम अपनी फसल में इसका प्रयोग कर सकते हैं अर्थात कॉपर सल्फेट या ये नीलथ होता है। इसका प्रयोग करते हैं तो दोस्तों अब जानते हैं कि इसका प्रयोग हम किस प्रकार कर सकते हैं। तो दोस्तों इसका जो प्रयोग है हमें दो प्रकार से कर सकते हैं कि पहला तरीका यह है कि इस प्रकार इस काफी बारीक हो जाए और बारीक पाउडर जैसा हो जाए और इसे हमें मिट्टी में या बालू में या हम यूरिया मिलाकर इसका प्रयोग कर सकते हैं। उसके बाद सिंचाई कर सकते हैं।

 अब दूसरा तरीका जान लेते हैं। तो दूसरा तरीका ये है इसे अच्छे प्रकार कूट कर पीस कर बारीक कर लीजिए और मात्रा का ध्यान रखें। ये दो से ढ़ाई किलोग्राम प्रति एकड़ ही इसका प्रयोग करें और इसका प्रयोग इस प्रकार करें कि इसे एक कहने में यह पार्टी में आप इसे खोल कर रखी और जब सिंचाई करते हैं तो जहाँ सिर्फ पानी स्टार्ट होता है, पानी चलता है नाली में वहाँ पर आप धीरे धीरे ये टोल चीज़ द्वारा छोड़िए या किसी मक की सहायता से धीरे धीरे छोड़ दे रही है। अब जब पानी पूरे खेत में फैलेगा तो एक समान मात्रा में हमारे खेत में ये कॉपर सल्फ्यूटी फैल जाएगा जिससे हमें पूरा फायदा मिलेगा और इसका प्रयोग करने से हमारे जो मिल प्रकार के जो रोग है वो बचे रहेंगे और कुल मिलाकर जो हमारी फसल है गन्ने की वो ज्यादा उत्पादन देगी तो दोस्तों इसका प्रयोग करने से उत्पादन तो होगा ही होगा तेज लेकिन इसके साथ साथ जो क्वालिटी है वो भी शानदार होगी। तो दोस्तों ये जो प्रयोग है करके देखिए, यदि आपने नहीं किया है लेकिन हम काफी मात्रा में हमारे किसान भाई करने लगे हैं और इससे अच्छा फायदा उठा रहे हैं तो आप भी इसका प्रयोग आवश्यक कीजिए क्योंकि इसका जो प्रयोग है, जो अन्य रासायनिक दवाएं हैं, उनसे काफी सस्ता पड़ता है।

नीला थोथा का गन्ने में उपयोग


और जैसा होता है, सीओसी होता है, उसका प्रयोग करते हैं तो इसी से बनता है अर्थात नीरत होता ही होता है और इसका जो रासायनिक परिवर्तन करके इसे बनाया जाता है वो काफी महंगा पड़ता है। लेकिन इसकी जो मात्रा है हमें इस प्रकार का ध्यान रखें कि इसका प्रयोग हमें दो से ढ़ाई किलो।


हमें इस पर का ध्यान रखें कि इसका प्रयोग हमें दो से ढ़ाई किलोग्राम एकड़ के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए और दोस्तों यदि हम गन्ने की बुवाई कर रहे हैं तो उसमें भी हम इसका प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन इसका जो प्रयोग है उस समय हमें पांच किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से लेना चाहिए और इसका प्रयोग हमें करना चाहिए और वो बुवाई से पहले जब हम आखरी जुताई करते हैं तो उसमें मिलाना चाहिए। और बाकी के जो और पोषक तत्व है, उन्हें भी इसके साथ में रह सकते है। 

ये भी पढ़े:-सागरिका इफको उपयोग


FAQ:-

गन्ने की बुवाई कौन से महीने में करनी चाहिए?

अक्टूबर – नवम्बर

गन्ने की फसल तैयार होने में कितना समय लगता है?

10 से12 माह मेंतैयार होता है।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने